विज्ञान युग सद भावना प्रेम शांति खुशहाली का वरदान।। विज्ञान युग सद भावना प्रेम शांति खुशहाली का वरदान।।
लकड़ी की नाव पर भी बैठकर नदियों को पार करते थे लकड़ी की नाव पर भी बैठकर नदियों को पार करते थे
इसी नारे ने हर हौसले को बुलंद किया, धीरे -धीरे आम जनता ने भी, इसी नारे ने हर हौसले को बुलंद किया, धीरे -धीरे आम जनता ने भी,
समय गवांया फिर भी मुझे कुछ ना समझ में आया अब कहां से और क्या लाता उपहार समय गवांया फिर भी मुझे कुछ ना समझ में आया अब कहां से और क्या लाता उपहार
जीवन में चमत्कार किसी भी समय हो सकता है/ जीवन में चमत्कार किसी भी समय हो सकता है/
ना जाने किस मिट्टी की बनी है तू माँ, तेरे प्यार में लगाव में कोई कमी नहीं थी। ना जाने किस मिट्टी की बनी है तू माँ, तेरे प्यार में लगाव में कोई कमी नहीं थ...